Wednesday, December 15, 2010

कभी...

कभी, दिल कुछ भी सुनता नहीं,
जब है जरूरी तभी
तब रोता है फिर कभी...

कभी...ये सांस रुक जाएगी
गर वो जो खो जाएगी
तब होगी गम की ख़ुशी

ओ कभी, मिल जाएगी जिंदगी
जब आएगी हर ख़ुशी
तब होगा हर पल हसीं...

कभी...वो दिन भी आ जायेगा
जब सब सुधर जाएगा
तब दिल भी मिल जाएगा

कभी, मैं दिल को समझाऊंगा
बस कर भी दिल की लगी
चोट तुझको है कल लगी...

फिर कभी, मैं दिल से बतलाऊंगा
जल जाने दे मुझको भी
गर ऐसी है ज़िन्दगी...

Thursday, December 9, 2010

...आखिर हमनें ऐसा क्या किया

लम्हे पकड़ते, कुछ तुमसे कहते
पहले ही तुमने हमें भुला दिया
आखिर हमनें ऐसा क्या किया

ज़िन्दगी साथ बुनते, वक़्त की धुनें सुनते
पहले ही तुमने मुंह मोड़ लिया
आखिर हमने ऐसा क्या किया

बागबां बनाते, सपने सजाते
पहले ही तुमने ना कह दिया
आखिर हमने ऐसा क्या किया

कितने रतजगे, कितने फलसफे
पल भर में तुमने सबको भुला दिया
आखिर हमने ऐसा क्या किया

कितनी कशिश, कितने रंजोगम
फिर से तुमने यूँ सहला दिया
आखिर हमने ऐसा क्या किया...
-----------------निखिल श्रीवास्तव

Sunday, December 5, 2010

...झूठ बोलकर

मैं सच की रौशनी बिखेरने में ही लगा रहा,
तमाम लोग बन गए महान झूठ बोलकर।

मेरी ख़ुशी बिछुड़ कर मुझसे चैन कैसे पा गई,
किसी ने भर दिए थे उसके कान झूठ बोलकर।

बढ़ा न पाया कोई अपनी शान झूठ बोलकर,
मगर वो छू रहें हैं आसमान झूठ बोलकर।

कभी तो सच्ची बात कर, कभी तो सबसे प्यार कर,
चली है किसकी उम्रभर दुकान झूठ बोलकर।

हकीक़तों से मुंह मोड़ने का मशविरा न दो मुझे,
तुम ही चलाओ अपना खानदान झूठ बोलकर।
(महेंद्र कुमार श्रीवास्तव)

जनता हूँ सच नहीं बोल पाओगे,
हमें मत बहलाओ झूठ बोलकर।

बड़ी बड़ी बातें कहते हो हर जगह,
इतिहास तो मत बनाओ झूठ बोलकर।

किसी को तनहा छोड़ने से पहले,
अपना तो न बनाओ झूठ बोलकर।

हाथ की लकीरें रातों रात नहीं बदलती,
हमें नींद से न जगाओ झूठ बोलकर।
(निखिल श्रीवास्तव)
Related Posts with Thumbnails