Thursday, August 11, 2011

दिल जब शोर करता है...

दिल की खामोश गलियों में कोई आज भी
एक आहट की आस लगाये बैठा है
कह दो उन मतवालों से कोई आज भी
नफरत की बस्ती में प्यार का बाज़ार लगाये बैठा है
लफ्ज़ कम हैं, और कहानियां ज्यादा
एक वादा इस ज़ुबां पर ताला लगाये बैठा है

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हर बात बताते रहे वो हमसे रात दिन
और एक दिन वो भी आया...
दामन छुड़ा के चल दिया हमको बताये बिन

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मुद्दतों पहले मुस्कुराये थे हम किसी के साथ
आज...कहीं किसी शहर में...
जनाज़े से मेरे बेखबर हैं, हीना से सजे हाथ

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उम्मीद करता हूँ, उन्हें हर नाम
हर इलज़ाम याद होंगे
इश्क की स्याही में डूबे वो ख़त
वो पैगाम याद होंगे
मुझसे जोड़े थे कभी उसने मोहब्बत से
मेरी डगमगाती कश्ती के
वो अरमान याद होंगे...

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उन लम्हों को महज़ लम्हे न समझना
उनमें एक ख़ूबसूरत कल सांस लेता होगा
इन बातों को महज़ बातें न समझना
इनमें कोई तो एहसास सांस लेता होगा...

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दिल के हालत कैसे हैं,
तुम्हे समझा नहीं सकता
आंखें कहती हैं कि मैं बोलूं
जुबां भी जिद पे अड़ती है
आँखें आसूं बहाती हैं
ज़ुबां खामोश रहती है
उम्मीद हैं, तड़पती हैं,
सीने में कैद कर नहीं सकता...

2 comments:

निवेदिता श्रीवास्तव said...

nice expression ......

Unknown said...

सही है मित्र मैं आपकी भावनाओ को समझ रहा हूँ !!!!!!
आपके लिए एक पंक्ति कहूँगा ....
जो बीत गया वो सपना था
जो आना है वो अपना है .....

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